आज के डिजिटल दौर में मोबाइल गेम्स बच्चों के जीवन का अहम हिस्सा बन चुके हैं। स्कूल से घर आते ही ज्यादातर बच्चे पढ़ाई से ज़्यादा free fire जैसे गेम खेलने में व्यस्त रहते हैं। पर जब यह शौक लत (Addiction) का रूप ले लेता है, तो इसका नतीजा कितना खतरनाक हो सकता है, इसका जीता-जागता उदाहरण हाल ही में लखनऊ से सामने आया है। यह घटना न सिर्फ दिल दहला देने वाली है, बल्कि यह हर माता-पिता और बच्चे के लिए एक चेतावनी है।
जब free fire बन गया मौत का खेल
हाल ही में आया दिल दहलाने वाला नया मामला सामने 14 साल से बच्चों ने free fire में उड़ाए 13 लाख रुपए, दरअसल यह कैश लखनऊ के रहने वाले किसान परिवार के एक 14 वर्षीय बच्चे यश के बारे में है, यह बच्चा 6 कक्षा में पढ़ता था और पढ़ाई में भी होशियार था लेकिन free fire गेम की लत के कारण उसने अपनी सूझबूझ खोकर 13 लाख रुपए गेम में उड़ा दिए। जब उसके पिता बैंक अकाउंट से पैसे निकलवा ने के लिए बैंक गए तो उन्हे पता चला की बैंक एकाउंट हो खाली है, और उन्हे free fire गेम के बारे में पता चला और जब पिता ने घर आकर अपने बेटे यश से इसके बारे में पूछा तो बच्चा डर और गभराहट के कारण पढ़ाई के बहाने से छत पर गया और फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली। एक छोटे से गेम की वजह से परिवार ने अपना बेटा खो दिया और पिता का वर्षों की मेहनत से जमा किया गया पैसा भी बर्बाद हो गया।

आखिर क्यों फँसते हैं बच्चे ऐसे जाल में?
आज के समय में मोबाइल और इंटरनेट बच्चों के लिए बेहद आसान हो गए हैं। फ्री कहकर डाउनलोड होने वाले गेम्स धीरे-धीरे बच्चों को अपने जाल में फँसा लेते हैं। Free fire जैसे गेम्स में आने वाले “इन-ऐप परचेज़” बच्चों को बार-बार नई चीज़ें खरीदने के लिए उकसाते हैं। गेमिंग कंपनियाँ इस तरह से रणनीति बनाती हैं कि खिलाड़ी लगातार लॉगिन करें और पैसे खर्च करते रहें। जब माता-पिता बच्चों की ऑनलाइन गतिविधियों पर पूरी नज़र नहीं रख पाते, तो बच्चे अनजाने में इस खतरनाक लत का शिकार हो जाते हैं, और पैसे तो बर्बाद करते ही है साथ में आत्महत्या जैसे बड़े कदम भी उठा लेते है।
इस घटना से क्या सीख मिलती है?
इस घटना से सबसे बड़ा सबक यही मिलता है कि माता-पिता को बच्चों की गतिविधियों पर करीबी नज़र रखनी चाहिए। मोबाइल और इंटरनेट इस्तेमाल पर कंट्रोल होना ज़रूरी है, खासकर बैंक अकाउंट और ऑनलाइन पेमेंट्स की पहुँच बच्चों से बिल्कुल दूर रखी जानी चाहिए। दूसरी ओर बच्चों को भी समझना चाहिए कि गेम केवल मनोरंजन के लिए होते हैं, ज़िंदगी का असली मकसद पढ़ाई, मेहनत और परिवार का नाम रोशन करना है। सरकार और समाज को भी चाहिए कि गेमिंग कंपनियों पर कंट्रोल रखें और बच्चों के लिए सुरक्षा उपाय अनिवार्य करें। और “इन ऐप परचेज” जैसे बैटल रॉयल गेम को बैन किया जाना चाहिए।
माता-पिता के लिए संदेश
माता-पिता को चाहिए कि बच्चों की गलतियों पर उन्हें डाँटने के बजाय प्यार और समझदारी से सुधारने की कोशिश करें। कई बार बच्चे इस डर से सच्चाई नहीं बताते कि उन्हें सज़ा मिलेगी। यही डर उन्हें गलत कदम उठाने पर मजबूर करता है। अगर इस बच्चे को सही समय पर सहारा और समझ मिलती, तो शायद वह आज ज़िंदा होता। बच्चों को समय, प्यार और सही मार्गदर्शन देना हर माता-पिता की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है।
निष्कर्ष
इस 14 साल के मासूम की दर्दनाक घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि समाज में अभी भी कितनी लापरवाहियाँ और खामियाँ मौजूद हैं। ऐसे हादसे केवल एक परिवार की नहीं, पूरे समाज की पीड़ा बन जाते हैं। बच्चों की सुरक्षा और शिक्षा के साथ-साथ उनकी देखभाल हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी होनी चाहिए। अगर समय रहते सतर्कता और सख्त कदम उठाए जाएँ, तो ऐसी त्रासदियाँ टाली जा सकती हैं। यह घटना एक गहरी सीख है कि हमें मिलकर सुरक्षित और संवेदनशील समाज का निर्माण करना होगा।