NISAR mission: भारत-अमेरिका की साझेदारी से अंतरिक्ष में एक नई क्रांति की शुरुवात!

Mahesh Jatoliya

July 30, 2025

NISAR mission
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क्या है NISAR मिशन?

NISAR mission (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar) भारत और अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसियों द्वारा संयुक्त रूप से विकसित एक ऐतिहासिक सैटेलाइट मिशन है। इसका उद्देश्य पृथ्वी की सतह पर होने वाले छोटे-छोटे बदलावों की गहराई से निगरानी करना है जैसे भौगोलिक, पर्यावरणीय और जलवायु संबंधी परिवर्तनों को बेहद सटीक रूप जानना है। यह पहली बार है जब NASA का L-बैंड और ISRO का S-बैंड रडार एक ही सैटेलाइट में लगाए गए हैं, जिससे यह मिशन दुनियाभर में पर्यावरण और आपदा निगरानी के क्षेत्र में क्रांतिकारी साबित होगा। इस सैटेलाइट से मिलने वाला डेटा वैश्विक स्तर पर पर्यावरणीय अध्ययन में क्रांति ला सकता है।

NISAR मिशन का मुख्य उद्देश्य क्या है?

अब जब NISAR mission 30 जुलाई 2025 को शाम 5:40 बजे सफलतापूर्वक लॉन्च हो चुका है, तो इसका मुख्य उद्देश्य पृथ्वी की सतह पर होने वाले सूक्ष्म और धीमे बदलावों की लगातार निगरानी करना है। इस सैटेलाइट के ज़रिए भूकंप से पहले ज़मीन की हलचल, हिमनदों की गति, जंगलों की कटाई, समुद्री तटों में होने वाले बदलाव और कृषि भूमि के विस्तार या संकुचन को सावधानी से ट्रैक किया जा सकेगा। यह मिशन अब हमारी धरती की “नब्ज़” को मापने का काम करेगा — जिससे न केवल पर्यावरणीय खतरे समय रहते पहचाने जा सकेंगे, बल्कि भविष्य की आपदाओं से भी बड़ी हद तक बचाव संभव होगा। अब यह सैटेलाइट हर 12 दिन में पृथ्वी को दो बार स्कैन करेगा और इसका डेटा वैज्ञानिकों को वैश्विक स्तर पर उपलब्ध कराया जाएगा, जिससे अनुसंधान और चेतावनी प्रणाली दोनों को मजबूती मिलेगी।

NISHR मिशन क्यों महत्वपूर्ण है?

NISAR mission सिर्फ एक सैटेलाइट लॉन्च से कहीं बढ़कर है। यह भारत और अमेरिका के बीच अंतरिक्ष सहयोग में एकता का प्रतीक है, जो दिखाता है कि कैसे दो अंतरिक्ष एजेंसियां मिलकर अत्याधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी का विकास कर सकती हैं। यह मिशन न केवल पृथ्वी के बदलते पर्यावरण को समझने में मदद करेगा, बल्कि प्राकृतिक आपदाओं से निपटने और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के काम करेगा। NISAR का प्रक्षेपण 30 जुलाई, 2025 को भारत के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से ISRO के GSLV-F16 रॉकेट द्वारा सफलतापूर्वक यानी आज ही किया गया है। यह भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि है और वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण भी है।

भारत के लिए एक गर्व का क्षण

NISAR mission एक ऐसा मिशन है जो भारत की तकनीकी क्षमता को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नए मुकाम तक ले जाएगा। ये मिशन केवल धरती की निगरानी के लिए नहीं, बल्कि यह दर्शाता है कि भारत अब तकनीक और विज्ञान के क्षेत्र में भी सबसे आगे है। NASA और ISRO की यह एकता दिखाती है कि भारत अब विज्ञान और अंतरिक्ष तकनीक में केवल भागीदार नहीं, एक निर्णायक ताकत बन चुका है। भारत ने इस मिशन में S-बैंड रडार और सैटेलाइट तैयार किया है, जबकि अमेरिका ने L-बैंड रडार दिया है — यह सहयोग दर्शाता है कि जब दो बड़ी संस्थाएं एक लक्ष्य के लिए साथ आती हैं, तो भविष्य की दिशा तय होती है। यही हमारे भारत के लिए गर्व और खुशी की बात है।

निष्कर्ष

NISAR mission सिर्फ एक सैटेलाइट प्रोजेक्ट का मिशन नही बल्कि यह भारत के वैज्ञानिक आत्मनिर्भरता और वैश्विक साझेदारी की दमदार उड़ान है। यह मिशन ना सिर्फ पृथ्वी की हर हलचल पर नजर रखेगा, बल्कि आने वाले समय में , आपदाओं, जलवायु परिवर्तन और कृषि जैसे जरूरी स्थानों में अहम भूमिका निभाएगा। NASA और ISRO की यह साझेदारी सिखाती है कि जब विज्ञान, विश्वास और उद्देश्य एक साथ जुड़ते हैं, तो केवल तकनीक नहीं, एक लक्ष्य का सफलतापूर्वक नीव होता है। भारत इस मिशन के जरिए न सिर्फ डेटा हासिल करेगा, बल्कि पूरी दुनिया को समाधान भी देगा — और यही है असली ताकत।

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