कोशलेंद्र और अंकिता की हनीमून यात्रा:- कोशलेंद्र और अंकिता की हनीमून यात्रा की शुरुवात हुई उस 5 मई के दिन से जो कोशलेद्र और अंकिता के जिंदगी का सबसे खूबसूरत और खुशियों से भरा रहा, उस दिन ही उन दोनो ने साथ में साथ फेरे लिए और अपनी एक सफल जिंदगी को शुरुवात की थी। सब जगह बिलकुल शादी भरा माहौल था। नए जीवन की शुरुआत में दोनों के चेहरे पर खुशी, उम्मीदें और सपनों की नई चमक थी। परिवार जनों और दोस्तों ने उन्हें नए सफर के लिए आशीर्वाद और शुभकामनाएं दीं। लेकिन उनकी जिंदगी का बुरा सफर शुरू हुआ उस 26 मई के सिक्किम के हनीमून के सफर के साथ उन्होंने इस सफर में प्रकृति की गोद में कुछ खुशनुमा पल बिताने का सपना देखा था। लेकिन अफसोस कि उन दोनो की यह सिक्किम की हनीमून यात्रा अब एक रहस्य बन के रह गई है।

29 मई का वो भयानक हादसा!
कोशलेंद्र और अंकिता की हनीमून यात्रा 26 मई से 28 मई तक बहुत अच्छे से चल रही थी दोनो ने खूब हंसी मजाक किया और प्रकृति के सुंदर रूप का आनंद लेते हुए उन दोनो ने अपनी हनीमून यात्रा को और भी यादगार बनाया। लेकिन उन को क्या पता था कि अब आगे की हनीमून यात्रा उनके लिए एक रहस्य बन के रह जायेगी। वो दिन था 29 मई का जब मानसून अपना कैरियर भयानक रूप दिखने को तैयार था। उस 29 मई को सिक्किम को जोरदार और भरी बारिश हुई जिसने पहाड़ी इलाकों के सभी रास्तों को पानी से भर दिया। इस बीच 11 यात्रियों से भरी वो कार अपने सफर का आनंद लेते हुए उसी रास्ते से गुजर रही थी कि उस रास्ते की इफिशलन से यात्रियों से भरी कार खाई में गिर गई। कुछ सूत्रों के मुताबिक उन यात्रियों में कोशलेंद्र और अंकिता भी सामिल थे।
13 दिनों के बाद आज भी लापता!
कोशलेंद्र और अंकिता की हनीमून यात्रा को आज तरह दिन बीत गए है लेकिन आज भी उन दोनो का कोई पता नहीं चल पाया है। उस हादसे के बाद पुलिस ने भी काफी जांच पड़ताल की जिसमे बाकी के सभी यात्रियों के शव और उनके कीमती सामान और मोबाइल भी मिले लेकिन कोशलेंद्र और अंकिता का कोई पता नहीं चल पाया ना तो उनका शव मिला और न ही उन का कोई सामान तो अब केवल एक ही सवाल उठता है कि अगर वो उस कार मे थे तो उनका कोई पता क्यू नहीं चल पाया है? क्या यह यात्रा केवल एक रहस्य बन के रह जायेगी?

परिवारजनों के हुए बुरे हालात!
इस घटना के बाद कोशलेंद्र के पिता हर सुबह इसी उम्मीद से आखें खोलते है कि उनके बेटे और बहू की कोई खबर सामने आए लेकिन हर रात उनकी तरसती आखें उसी सन्नाटे में सो जाए करती है। उनका कहना है कि प्रशासन को इस बार अपनी करवाई को तेज करना चाहिए। इसके साथ ही अंकिता की मां का रो रो कर बुरा हाल हो गया है। अंकिता की मां की आंखें अब लगातार रोते-रोते सूख चुकी हैं। उनका कहना है –”मेरी बेटी तस्वीरें भेजने वाली थी, अब तो उसकी एक हलचल सुनने के लिए तरस गए हैं।”
प्रशासन की धीमी कार्रवाई पर सवाल!
- शुरुआत में सर्च ऑपरेशन तेज था, लेकिन जैसे-जैसे दिन बीते, राहत और तलाशी अभियान धीमा पड़ता गया। परिवार प्रशासन से बार बार मांग कर रहा है कि:
- खोजबीन तेज की जाए।
- आधुनिक तकनीक जैसे ड्रोन, ट्रैकिंग डिवाइस और सैटेलाइट इमेज का उपयोग हो।
- सर्च ऑपरेशन तब तक न रुके जब तक अंतिम सच्चाई सामने न आ जाए।
निष्कर्ष
13 दिन बीत चुके हैं। अभी भी कोशलेंद्र और अंकिता का कुछ अता-पता नहीं है। लेकिन हम सबको उनकी वापसी की उम्मीद बनाए रखनी चाहिए। आइए हम मिलकर इस आवाज़ को इतना बुलंद करें कि सरकार और प्रशासन मजबूर हो जाए हरसंभव प्रयास करने के लिए। हम प्रार्थना करते हैं – कोशलेंद्र और अंकिता जहां भी हों, सुरक्षित हों, और जल्द अपने घर लौटें।