दहेज की बलि चढ़ी बेटी: तमिलनाडु की रिधन्या की कहानी जिसने देश को झकझोर दिया

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प्रस्तावना: एक और बेटी, एक और बलिदान

भारत में दहेज प्रथम ने आज भी कई हजारों बेटियों की जिंदगी को दाव पर लगा के रखा है जहां समाज में नारी को लक्ष्मी का रूप माना जाता है वहीं कुछ ऐसे भी लोग हैं जो दहेज के चलते बेटियों पर अत्याचार करते है। । तमाम कानूनों और जागरूकता अभियानों के बावजूद यह सामाजिक बुराई पूरी तरह खत्म नहीं हो सकी है। आज हम बात कर रहे हैं तमिलनाडु की रिधन्या की, जिसने शादी के कुछ महीने बाद ही आत्महत्या कर ली। उसका जुर्म बस इतना था कि वह अपने ससुरालवालों की लालच और दहेज की भूख पूरी नहीं कर पाई।

कौन थी रिधन्या?

रिधन्या एक पढ़ी-लिखी, महत्वाकांक्षी और संस्कारी लड़की थी। उसके माता-पिता ने उसकी शादी बड़े ही धूमधाम से एक प्रतिष्ठित परिवार में की थी। शादी के समय उन्होंने बेटी को दहेज में एक Volvo कार, 800 ग्राम सोना, और अन्य महंगे तोहफे भी दिए थे। लेकिन ससुराल वालो का लालच बढ़ता चला गया और ससुराल वालों की इच्छाएं यहीं नहीं रुकीं। शादी के बाद जो सच्चाई सामने आई, वो बेहद दर्दनाक थी।

लालच की आग में जली एक बेटी की जिंदगी!

शादी के कुछ हफ्तों बाद ही रिधन्या को ससुराल में दहेज के लिए ताने मिलने लगे। उस पर रोज़ नए-नए आरोप लगाए जाते और और ज़्यादा पैसे व गहनों की माँग की जाती रही। मानसिक प्रताड़ना के साथ-साथ शारीरिक हिंसा भी होने लगी। ससुरालवाले न सिर्फ उसके आत्मसम्मान को तोड़ रहे थे, बल्कि उसका मानसिक संतुलन भी बिगाड़ रहे थे। रिधन्या ने कई बार अपने माता-पिता को अपनी पीड़ा बताई, लेकिन समाज के डर और बदनामी की वजह से सब चुप रह गए। और शायद यही समाज का डर और बदनामी बेटी के जिंदगी का मौत का कारण बन गई।

“जब अत्याचार ने ली एक बेटी की जान”

घटना के दिन रिधन्या अपने माता-पिता को फोन कर रोती हुई बोली – “अब नहीं सहा जाता…”और ससुराल वालो में उस बेचारी बेटी के साथ अत्याचार और मार पिटाई करने शुरू कर दी कुछ दिनों तक यही सिलसिला जारी रहा और रिधन्या इस अन्याय को सहन करती रही लेकिन एक दिन बात और आगे बढ़ गई, और रिधन्या किसी की और उसने कीड़े मरने वाली दवाई खाली और सड़क पर गिर गई। उसे तुरंत अस्पताल ले जाया गया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। डॉक्टर्स ने उसे मृत घोषित कर दिया। यह सिर्फ एक आत्महत्या नहीं, बल्कि एक सिस्टम और समाज की नाकामी है। जो आए दिन किसी न किसी बेटी के हत्या का कारण बनता है।

पुलिस जांच और गिरफ्तारियाँ!

घटना की सूचना मिलते ही पुलिस ने मामला दर्ज किया और जल्द कार्रवाई की। रिधन्या के पति, सास और ससुर को दहेज प्रताड़ना और आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। फिलहाल पुलिस जांच कर रही है और रिधन्या के कॉल रिकॉर्ड्स, व्हाट्सएप चैट्स और अन्य डिजिटल सबूत खोजे जा रहे हैं। उम्मीद है कि दोषियों को सख्त से सख्त सजा मिलेगी। एक सवाल समाज से यह उठता है की आज के दौर में भी दहेज प्रथा पूरी तरह खत्म नही क्यू नही हुई। जिसका शिकार अक्षर बेटियां ही क्यों होती है?

कानून तो हैं, लेकिन… न्याय कब तक?

भारत में दहेज विरोधी कानूनों की कोई कमी नहीं है। दहेज प्रतिषेध अधिनियम, 1961 और भारतीय दंड संहिता की धारा 498A जैसी धाराएं मौजूद हैं। परंतु सवाल यह है कि क्या ये कानून सिर्फ कागज़ों तक सीमित हैं? जब तक समाज का नजरिया नहीं बदलेगा, तब तक कानून भी बेमानी रहेंगे। जागरूकता और सख्त कानूनी कार्रवाई ही इस बुराई का हल हो सकती है।

निष्कर्ष

रिधन्या की मौत बताती है कि दहेज अब भी हमारी सबसे बड़ी सामाजिक बुराई है। लाखों खर्च करने के बाद भी एक बेटी को ससुराल में सम्मान नहीं मिला। यह आत्महत्या नहीं, मजबूरी में ली गई जान है। अब समय आ गया है कि हम चुप्पी तोड़ें। हर परिवार को अपनी सोच बदलनी होगी। बेटियों को दहेज नहीं, बराबरी चाहिए। कानून तभी असर करेंगे जब समाज भी साथ देगा। हर रिधन्या को न्याय दिलाना हमारी ज़िम्मेदारी है।

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