हादसे की पूरी तस्वीर: कब, कहां और कैसे?
1 जुलाई 2025, मंगलवार की दोपहर तेलंगाना के नलगोंडा जिले में स्थित एक प्रमुख केमिकल फैक्ट्री Sigachi Industries में जोरदार विस्फोट हुआ। चंद ही मिनटों में आग इतनी तेजी से फैली कि आसपास के इलाकों में फैल गई। वक्त था करीब दोपहर 1:35 बजे का, जब अचानक ज़ोरदार विस्फोट हुआ और फिर चारों तरफ धुएं और आग का परचण्ड तांडव छा गया। इस हादसे में 39 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई, जबकि 34 से अधिक गंभीर रूप से घायल हुए। शुरुआती रिपोर्ट के अनुसार, फैक्ट्री में Microcrystalline Cellulose (MCC) का उत्पादन किया जा रहा था। यह पदार्थ दवाइयों, कॉस्मेटिक और खाद्य उत्पादों में प्रयोग होता है।

“धुएं में डूबी सांसें और जलते हुए सपने
घटना के समय फैक्ट्री के अंदर लगभग 140 से अधिक मजदूर काम कर रहे थे। जैसे ही विस्फोट हुआ, चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा छा गया। सुरक्षा कर्मियों को मलबे से शव निकालने में घंटों लग गए, और कुछ शव तो इतने बुरी तरह जल चुके थे कि पहचान कर पाना भी मुश्किल हो गया। एक मजदूर जो बाल-बाल बच गया, उसने कहा:”हमने देखा कि एक के बाद एक तीन विस्फोट लगातार होते गए और आज इतनी तेजी से फैली कि कई मजदूर जान बचाकर भागने की कोशिश में लग रहे लेकिन चारों तरफ से आग ने घेर रखा था और स्थिति गंभीर हो गई और कुछ संभाल नहीं पाया।
जांच और सरकारी प्रतिक्रिया
राज्य सरकार ने घटना की जांच के लिए 5 सदस्यीय कमेटी का गठन किया है और फैक्ट्री को 90 दिनों के लिए बंद कर दिया गया है।वहीं दूसरी ओर, कंपनी की ओर से बयान आया है कि “हम सुरक्षा मानकों का पालन करते हैं और पूरी घटना की जांच में सहयोग करेंगे।”लेकिन असली सवाल यह है कि जब सुरक्षा मानक पूरे किए गए थे तो इतना बड़ा हादसा क्यों हुआ?सरकार की ओर से ₹5 लाख का मुआवजा मृतकों के परिवारों को देने की घोषणा की गई है, मगर क्या यह राशि उनके बच्चों के भविष्य की भरपाई कर सकती है? क्या होगा उन नादान बच्चो का? , कैसे होगा उन परिवारों का गुजारा? यह तो आने वाला समय ही बताएगा।
आर्थिक नुकसान और उद्योग पर असर
Sigachi Industries भारत की सबसे बड़ी MCC निर्माताओं में से एक है। इस हादसे के बाद कंपनी को आर्थिक रूप से बहुत बड़ा झटका लगा है:शेयर बाजार में कंपनी के स्टॉक्स में 18% तक गिरावट MCC की वार्षिक उत्पादन क्षमता का 25% हिस्सा इसी यूनिट से आता था लेकिन अब यह 25% भी नहीं आने वाला है। उत्पादन बंद होने से आपूर्ति श्रृंखला (Supply Chain) भी बहुत प्रभावित होगी लेकिन इन आंकड़ों से कहीं अधिक नुकसान उन परिवारों का है, जिनका एकमात्र कमाने वाला सदस्य अब नहीं रहा।
मजदूरों की ज़िंदगी: सस्ती और अनसुनी
मजदूर वर्ग देश की रीढ़ होता है, लेकिन हर बार जब कोई हादसा होता है, तो सबसे पहले मजदूर ही क्यों शिकार बनता है। क्यों इन लोगों के पास कोई विकल्प नहीं होता — न नौकरी बदलने का, न आवाज़ उठाने का।”वो सिर्फ मजदूर नहीं थे — वो पिता थे, बेटे थे, पति थे, और सपनों को सच करने वाले थे।”लेकिन उनका जीवन इतनी आसानी से खत्म हो गया जैसे वो सिस्टम के लिए सिर्फ एक संख्या थे — इंसान नहीं। तो एक सवाल सिस्टम से अब तक मजदूर के लिए सुरक्षा नीति क्यों नही बनी, और अगर बनी भी है तो क्या वह केवल नाम तक सीमित है?
अब क्या होना चाहिए?
- कुछ जरूरी कदम: —
- 1. फैक्ट्री प्रबंधन और निगरानी एजेंसियों की जांच होनी चाहिए।
- 2. पीड़ितों के परिजनों को नौकरी और शिक्षा सहायता मिलनी चाहिए।
- 3. सभी फैक्ट्रियों में AI आधारित सेफ्टी मॉनिटरिंग सिस्टम होना चाहिए।
- 4. हर हादसे की सार्वजनिक रिपोर्टिंग और RTI के तहत जांच रिपोर्ट की उपलब्धता होनी चाहिए।
निष्कर्ष
तेलंगाना की यह घटना कोई साधारण हादसा नहीं, बल्कि एक खौफनाक चेतावनी है — कि हमारे देश में मजदूरों की जान की कीमत अब भी केवल ना मात्र की है। अब इस हादसे से सरकार को भी सीख लेनी चाहिए कि देशभर में फैली बड़ी-बड़ी रासायनिक फैक्ट्रियों में आग लगना और विस्फोट होना कोई नई बात नहीं रह गई है। ऐसे हादसे अब आम हो गए हैं, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि इन्हें नज़र अंदाज़ किया जाए।सरकार को चाहिए कि समय रहते उचित से उचित सुरक्षा प्रबंध करे ताकि आगे चलकर और लोगों की जान न जाए। अब और परिवार बेरोजगार न हो ,जो हो गया वो तो दुखद है, लेकिन अब अगर सही कदम नहीं उठाए गए तो भविष्य और भी खतरनाक हो सकता है। और गरीब और मजदूर परिवारों की जिंदगी मुस्कील ना हो।
“ये हादसा एक अलार्म था — अगर अब भी नहीं जगे, तो भविष्य हमें माफ़ नहीं करेगा।